जीवनसंवाद : याद महल के उजाले-अंधेरे

यादों के उजाले-अंधेरे लौट कर आते रहते हैं. हमारी स्मृतियों की इनसे अक्सर मुलाकात होती रहती है. यह सहज, स्वाभाविक है. लेकिन इन सबके बीच मुश्किल है, हमारा उन स्मृतियों में अटके रहना, जिनमें वह हिस्सा शामिल है जो हमारी ओर अंधेरा फेंकता रहता है. हम अपनी यादों के उजाले और अंधेरे के बीच टहलते यात्री हैं. सुखी और सहृदय जीवन के लिए यादों से उजालों की निरंतर आपूर्ति जरूरी है. उजली यादों को संभालना और नकारात्मक यादों को पीछे छोड़ते जाना जीवन का सूत्र वाक्य होना चाहिए. जो घट गया उस पर नियंत्रण नहीं, जो आएगा उसके बारे में कुछ कहना संभव नहीं, लेकिन हां जो हो रहा उसे ठीक तरह से संभाला जा सकता है.


इस क्षण को जीना मुश्किल लेकिन सबसे उपयोगी जीवन तकनीक है. यह एक प्रकार का विज्ञान है. मन से सुखी व्‍यक्ति होने के लिए सबसे जरूरी है, इस तकनीक को जीवन मूल्‍य बनाया जाए. जीवन का सारा सुख आज के साथ जीने में है.


हमारी याद महल से अगर केवल अंधेरे निकलेंगे तो हमारा जीवन कैसे सुखी रह पाएगा. संभव है जीवन की यात्रा में कुछ ऐसा घटा हो, जिससे पार पाना मुश्किल लगता हो. लेकिन इन स्मृतियों के सहारे अटके रहने से जिंदगी ठहर जाती है. जीवन में अतीत के आंगन से केवल सीखने की कोशिश होनी चाहिए, स्मृतियों के सहारे कहीं एक जगह ठहरने से जीवन केवल बाधित होगा. आगे नहीं बढ़ेगा. ठहर जाएगा!


जीवन संवाद’ को मिल रहे ई-मेल, फेसबुक मैसेंजर पर सबसे अधिक सवाल अतीत के कष्‍ट से जुड़े हुए हैं. हम अपने अतीत की पीड़ा से जब तक मुक्‍त तक नहीं होंगे, हमारा जीवन सुखी नहीं हो सकता. हमें बाहर इससे बाहर आने का रास्‍ता तलाशना होगा. ऐसा नहीं होने से यह दर्द धीरे-धीरे कुंठा में बदल जाएगा. हर बात को आप पुरानी बातों से जोड़कर देखने की आदत बनते देर नहीं लगती.


इसे कुछ ऐसे समझिए.


टूटे हुए रिश्‍ते. पति/पत्‍नी/ प्रेमी/प्रेमिका/दोस्‍त/साथ काम करने वाले, यह सभी हमारे ‘याद महल’ का हिस्‍सा हैं. हम टूटी यादों के नजदीक टहलते रहते हैं. पुराने जख्‍मों को हवा देने की आदत एक बार लग जाए तो आसानी से नहीं छूटती. क्‍योंकि इससे आपको दुनिया की सहानुभूति मिलती रहती है. लेाग कहते हैं, अरे! बड़ा दुखी आदमी है. इसके साथ दुनिया ने बहुत खराब व्‍यवहार किया. बाकी लोग अपने काम में जुटे रहते हैं. लेकिन ऐसे लोगों के पास ‘याद महल’ का स्‍थाई काम होता है.


जीवन संवाद’ मन की गांठ खोलने की विनम्र कोशिश है. जब तक मन साफ और सुंदर नहीं होगा. जीवन को सुखी करना सरल नहीं होगा. वह बाहर से सुखी हो सकता है लेकिन उसके भीतर हमेशा व्‍याकुलता रहेगी. बीते दिनों की कसक रहेगी. अपने हर दिन के जीवन को ‘याद महल’ के अंधेरे से मुक्‍त करना होगा. इससे हम स्‍वयं को अनेक संकटों से सहजता से बचा सकते हैं.